Tag: Vishal Gautam
आवश्यकता
आज के परिवेश में
वो गरिमामय कल
नहीं दिखता!
बेशक जरूरी है विकास
और राष्ट्रीयता
लेकिन उतना ही जरूरी है
मानवता और एकता भी
जरूरी है एक समाज
जिसमें समावेश हो
आधुनिकता और...
ममता
माँ की आँखें
वो निश्छल, निर्गुण-सी आँखें
आँख कहाँ होती है
वो होती है
एक पात्र जलमग्न
अविरल जिसमें बहती है
ममतामयी धारा
और छलक आती है पल में
मोती-सी पावन बूँदें
जरा...
मणियाँ
स्त्री का हृदय
और पुरूष का मन
धरती के हैं दोनो
सबसे अमुल्य धन
हृदय कि जैसे सागर
मन वेग के संग
एक ममता से परिपूर्ण
दूजा प्रबल अनंत
ममता जो करे समाहित
सारे...
बेबसी
ना नींद में था
ना कल्पना में
ना बेहोशी की हालत
पर जाने क्युँ
लगा कि वो सामने है
बेहद पास
कि मैं छू सकता था उसे
देख सकता था जी...
मातृ-तुल्य
माँ का बोया
छोटा पौधा
बढ़कर हो गया है
मातृ-तुल्य
जब खड़कते हैं
घने उसके पत्ते
लगता है
कुछ बोल रही है माँ
रसोई में जाती है
उसकी हवा
और बुझे चुल्हे को
सुलगाती है...
विचार-पथ
गहन विचारों के मध्य भी
सतर्क होकर
गहनता से
विचार होना चाहिए
विचारों की दशा-दिशा पर
भटकाव संभव है
सीधे पथ पर भी
यदि उसका पथिक
तन नहीं है, मन है..
दशा के बहाने
चिराग ढूँढता है
रात में केवल वही
दिन गुजरा है जिसका
सकल उजालों में।
वरना स्याह रंगत है
जिसकी धूप की ही
भला उसे फर्क क्या
दिन है कि रात है।