Tag: Vishnu Khare
वापस
सफ़ेद मूँछें, सिर पर उतने ही सफ़ेद छोटे-छोटे बाल
बूढ़े दुबले झुर्रीदार बदन पर मैली धोती और बनियान
चेहरा बिल्कुल वैसा जैसा अस्सी प्रतिशत भारतवासियों का
शहर...
आज भी
आज भी होंगे करोड़ों पर अन्याय
अत्याचार होंगे लाखों पर
इस शाम भी असंख्य सोएँगे भूखे या आधे पेट
हज़ारों-हज़ार रहेंगे बेआसरा-बेसहारा
औरतें गुज़रेंगी हर सम्भव-असम्भव अपमान से
बच्चे...
अन्तिम
क्या याद आता होगा मृत्यु के प्रारम्भ में
मर्मान्तक वेदना की लम्बी मौत
या कृतज्ञ बेहोशी में या उससे कुछ पहले—
एक बहुत नन्ही लड़की अँगुलियाँ पकड़ती हुई
या पास...
नींद में
कैसे मालूम कि जो नहीं रहा
उसकी मौत नींद में हुई?
कह दिया जाता है
कि वह सोते हुए शान्ति से चला गया
क्या सबूत है?
क्या कोई था उसके...
अकेला आदमी
अकेला आदमी लौटता है बहुत रात गए या शायद पूरी रात बाद भी
घर के ख़ालीपन को स्मृतियों के गुच्छे से खोलता हुआ
अगर वे लोग...
स्वीकार
आप जो सोच रहे हैं, वही सही है
मैं जो सोचना चाहता हूँ, वह ग़लत है
सामने से आपका सर्वसम्मत व्यवस्थाएँ देना सही है
पिछली कतारों में जो...
परस्पर
साथ का आख़िर यह भी कैसा मक़ाम
कि आलिंगन और चुम्बन तक से अटपटा लगने लगे
ऐसे और बाक़ी शब्द भी अतिशयोक्ति मालूम हों
इसलिए उन्हें एकांत किसी...