Tag: Vivek Nath Mishra

सियासत और मोहब्बत

मेरा इतना सा काम कर दो, सियासत इंसानों के नाम कर दो। हममें तुममें मोहब्बत रहे, बाकी सब नीलाम कर दो। सुबह की धूप आंगन को छुए, ऐसा कुछ...

द्वंद्व

इक छोटी सी लड़की है, दो चार शब्द हैं, अनगिनत भावनाएँ हैं, असीम प्रेम है। फिर भी वो लड़की है, लड़का नहीं। यही सोच है, इतना ही विचार है। कैसा संसार है? बिल्कुल बेज़ार...

वक़्त गुजरते देर नहीं लगती

वो खुले मैदान का आखिरी सिरा, और उसकी दीवार पर लिपटा हुआ वो पुराना बरगद का पेड़। मानो अलग होने को तैयार नहीं ठीक वैसे ही जैसे हम...

गौरैया को पत्र

याद है तुम्हें? तुम आते थे रोज़ सुबह दरवाज़े की ताख पर। कितना गाते थे तुम, सबको जगा जाते थे तुम, तुम्हारी प्रियतमा को रिझाने को हर रोज़ नई जगह...

गेंदे के फूल

नारंगी सी एक शाम, और उसी रंग में घुली नदी। नदी के शांत किनारे पर, वो छोटा सा इक लड़का, और उसके हाथ में, नारंगी फूलों से भरी इक...

आने वाले बच्चे की पायल

वो जब कभी भी मुझसे गली में मिल जाती तो पूछती, “तुम्हारा बच्चा कैसा है?” और मैं यूं ही मज़ाक में बोल बैठता, “नटखट”। मेरा...
Books

किताबों वाली दोपहर

तपती गर्मी की एक शांत दोपहर, एक पागल सी हवा गलियों से गुज़री दरवाज़े पर आई मेरे, ज़ोर से पीटा खिड़कियों के कांच को, जैसे तलाश रही हो...
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