Tag: Voices of common people

Fist, Protest, Dissent

आवाज़ें मरा नहीं करतीं

'Aawaazein Mara Nahi Karti', a poem by Suraj Taransh तुम जला डालो घास-फूस से बने हमारे घर को एक तिनका बच ही जायेगा जो बिंध जाएगा तुम्हारी आँखों में... सुलग...
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