Tag: Winter

Gaurav Bharti

गौरव भारती की कविताएँ – IV

Poetry by Gaurav Bharti क़ैद रूहें उनका क्या जो नहीं लौटते हैं घर कभी-कभार देह तो लौट भी जाती है मगर रूहें खटती रहती हैं मीलों में खदानों में बड़े-बड़े निर्माणाधीन मकानों में इस उम्मीद...
Rakhi Singh

सर्दियाँ

'Sardiyaan', Hindi Kavita by Rakhi Singh कवि ने कहा है- 'दुनिया को हाँथ की तरह गर्म और सुन्दर होना चाहिए।' मेरा उनसे क्षमा माँगने का मन है अभी कल ही...
Old Man with tea, Old Age

चाय की दुकान और बूढ़ा

नुक्कड़ वाली चाय की दुकान में, सुबह, मुँह अँधेरे ही आ जाती है जब एक बीमार बूढ़ा वहाँ चला आता है अपने पाँव घसीटता। एक ठण्डी रात में से गुज़रकर ज़िन्दा...
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