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Yogesh Dhyani

भेड़िया

हालात तब नहीं थे इतने बुरे जब जंगल से एकाध भेड़िया भटककर राह दाख़िल हो जाता था इंसानी बस्तियों की सीमाओं में, उसे तो खदेड़ देता था इंसान एकजुट होकर तहज़ीब की सीमाओं...
Bhuvaneshwar

भेड़िये

"लोग कहते हैं, अकेला भेड़िया कायर होता है। यह झूठ है। भेड़िया कायर नहीं होता, अकेला भी वह सिर्फ चौकन्ना होता है। तुम कहते हो लोमड़ी चालाक होती है, तो तुम भेड़ियों को जानते ही नहीं।" 'भेड़िये' एक ऐसी कहानी है जिसे हिन्दी के साहित्यकारों ने एक लम्बे अरसे तक हिन्दी की मौलिक कहानी न मानकर, अंग्रेजी की किसी कहानी का अनुवाद माना! इस पूर्वाग्रह के पीछे एक कारण यह भी रहा कि भुवनेश्वर को अंग्रेजी साहित्य का अच्छा ज्ञान था! बाद में इसी कहानी को नयी कहानी की दिशा में पहली कहानी भी माना गया जिसने गाँव, कस्बों, शहरों और प्रेम के किस्सों से कहानी को बाहर निकाला.. घोर व्यक्तिवाद की निशानी यह कहानी लिखकर भुवनेश्वर हिन्दी साहित्य में हमेशा के लिए अमर हो गए... पढ़िए!
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