Tag: Women’s Day
स्त्रीत्व का अनुपात
मेरे शब्द हमेशा अधूरे रहे
कविताओं के मध्य;
सिर्फ़ उन भावों में
जहाँ पौरुष;
स्त्रीत्व के समानुपात में रहना था
लेकिन शब्दों के अनुतान में;
बड़े बेढब तरीक़े से
व्युत्क्रम में...
स्त्री
समय समय पर आती स्त्रियाँ
मुझे हरदम कविताएँ लगीं
कुछ मेरी कविता के अंश बनीं
तो कुछ कविता बन के उभरीं
मोहित करती रहीं मुझे
उनके अंदर की कविताएँ
कुछ ग़ज़लों सी...
पढ़ी लिखी लड़कियाँ
लड़कियाँ पढ़-लिख गई
तमाम सरकारी योजनाओं ने सफलता पाई
गैरसरकारी संस्थाओं के आँकड़े चमके
पिताओं ने पुण्य कमाया और
भाईयों ने बराबरी का दर्जा देने की सन्तुष्टि हासिल की
पढ़ी...
अस्मिता
तुम्हारी जीत भरी मुस्कराहट को
देख कर हमेशा ऐसा लगता है
जैसे कितनी मुश्किलें
अपनी सैंडल से मसल कर
कभी धीरे तो कभी तेज़ चलकर कितनी
गिरहें तोड़ती आयी...