Tag: Zafar Ali Khan

Zafar Ali Khan

हिन्दोस्तान

नाक़ूस से ग़रज़ है न मतलब अज़ाँ से है मुझ को अगर है इश्क़ तो हिन्दोस्ताँ से है तहज़ीब-ए-हिन्द का नहीं चश्मा अगर अज़ल ये मौज-ए-रंग-रंग फिर...
Zafar Ali Khan

मोहब्बत

कृष्ण आए कि दीं भर भर के वहदत के ख़ुमिस्ताँ से शराब-ए-मा'रिफ़त का रूह-परवर जाम हिन्दू को कृष्ण आए और उस बातिल-रुबा मक़्सद के साथ आए कि...
Zafar Ali Khan

चू की लफ़्ज़ी तहक़ीक़

अश्नान करने घर से चले लाला-लाल-चंद और आगे-आगे लाला के उन की बहू गई पूछा जो मैंने- लाला लल्लाइन कहाँ गईं नीची नज़र से कहने लगे वो...
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