Tag: Zafar Ali Khan
हिन्दोस्तान
नाक़ूस से ग़रज़ है न मतलब अज़ाँ से है
मुझ को अगर है इश्क़ तो हिन्दोस्ताँ से है
तहज़ीब-ए-हिन्द का नहीं चश्मा अगर अज़ल
ये मौज-ए-रंग-रंग फिर...
मोहब्बत
कृष्ण आए कि दीं भर भर के वहदत के ख़ुमिस्ताँ से
शराब-ए-मा'रिफ़त का रूह-परवर जाम हिन्दू को
कृष्ण आए और उस बातिल-रुबा मक़्सद के साथ आए
कि...
चू की लफ़्ज़ी तहक़ीक़
अश्नान करने घर से चले लाला-लाल-चंद
और आगे-आगे लाला के उन की बहू गई
पूछा जो मैंने- लाला लल्लाइन कहाँ गईं
नीची नज़र से कहने लगे वो...