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Zafar Gorakhpuri

ज़फ़र गोरखपुरी के दोहे

दोहे: किताब 'मिट्टी को हँसाना है' से उर्दू से हिन्दी लिप्यन्तरण एवं प्रस्तुति: आमिर विद्यार्थी   तेरे मेरे ख़ून की, क़ीमत कौन लगाए साहूकार से जो बचे, सड़कों...
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