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Muktibodh

शून्य

भीतर जो शून्य है उसका एक जबड़ा है जबड़े में माँस काट खाने के दाँत हैं; उनको खा जाएँगे, तुमको खा जाएँगे। भीतर का आदतन क्रोधी अभाव वह हमारा स्वभाव है, जबड़े...
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