तय करो किस ओर हो तुम, तय करो किस ओर हो
आदमी के पक्ष में हो या कि आदमख़ोर हो।
ख़ुद को पसीने में भिगोना ही नहीं है ज़िन्दगी
रेंगकर मर-मरकर जीना ही नहीं है ज़िन्दगी
कुछ करो कि ज़िन्दगी की डोर न कमज़ोर हो
तय करो किस ओर हो तुम, तय करो किस ओर हो।
खोलो आँखें फँस न जाना तुम सुनहरे जाल में
भेड़िए भी घूमते हैं आदमी की खाल में
ज़िन्दगी का गीत हो या मौत का कोई शोर हो
तय करो किस ओर हो तुम, तय करो किस ओर हो।
सूट और लंगोटियों के बीच युद्ध होगा ज़रूर
झोपड़ों और कोठियों के बीच युद्ध होगा ज़रूर
इससे पहले युद्ध शुरू हो, तय करो किस ओर हो
तय करो किस ओर हो तुम, तय करो किस ओर हो।
तय करो किस ओर हो तुम, तय करो किस ओर हो
आदमी के पक्ष में हो या कि आदमख़ोर हो।
बल्ली सिंह चीमा की कविता 'रोटी माँग रहे लोगों से'