इराक़ी-अमेरिकी कवयित्री दुन्या मिखाइल (Dunya Mikhail) का जन्म बग़दाद में हुआ था और उन्होंने बग़दाद विश्वविधालय से बी.ए. की डिग्री प्राप्त की। सद्दाम हुसैन के शत्रुओं की सूची में आने से पहले उन्होंने बग़दाद ऑब्ज़र्वर के लिए अनुवादक और पत्रकार के रूप में अपनी सेवाएँ दीं। इसके बाद नब्बे के दशक के मध्य में वह अमेरिका चली गईं जहाँ उन्होंने वेयन स्टेट यूनिवर्सिटी से एम.ए. की डिग्री प्राप्त की। (परिचय साभार: पोएट्री फ़ाउंडेशन)
प्रस्तुत कविता पोएट्री फ़ाउंडेशन पर उपलब्ध दुन्या मिखाइल की कविता ‘The Artist Child’ का हिन्दी अनुवाद है, अनुवाद योगेश ध्यानी ने किया है।
चित्रकार बच्चा
‘The Artist Child’ from The War Works Hard
—मैं आकाश का चित्र बनाना चाहता हूँ।
—बनाओ, मेरे बच्चे।
—मैंने बना लिया।
—तो तुमने रंग इस तरह क्यों छितराए हैं?
—क्योंकि आकाश के कोने नहीं होते।
…
—मैं पृथ्वी बनाना चाहता हूँ।
—बनाओ, मेरे बच्चे।
—मैंने बना ली।
—और यह कौन है?
—यह मेरी दोस्त है।
—और पृथ्वी कहाँ है?
—उसके बस्ते में।
…
—मैं चाँद बनाना चाहता हूँ।
—बनाओ, मेरे बच्चे।
—मुझसे नहीं बनता।
—क्यों?
—लहरें बार-बार उसे तोड़ दे रही हैं।
…
—मैं स्वर्ग बनाना चाहता हूँ।
—बनाओ, मेरे बच्चे।
—मैंने बना लिया।
—लेकिन मुझे तो कोई रंग नहीं दिख रहे?
—यह रंगहीन है।
…
—मैं युद्ध का चित्र बनाना चाहता हूँ।
—बनाओ, मेरे बच्चे।
—मैंने बना लिया।
—और यह वृत्त क्या है?
—बूझो।
—रक्त की एक बूँद?
—नहीं।
—गोली?
—नहीं।
—फिर क्या?
—वह बटन, जो बत्ती बुझा देता है।
दुन्या मिखाइल की कविता 'मैं जल्दी में थी'