जिस शहर में मैं पैदा हुआ, उसमें एक औरत अपनी बेटी के साथ रहती थी। दोनों को नींद में चलने की बीमारी थी।

एक रात, जब पूरी दुनिया सन्नाटे के आगोश में पसरी पड़ी थी, औरत और उसकी बेटी ने नींद में चलना शुरू कर दिया। चलते-चलते वे दोनों कोहरे में लिपटे अपने बगीचे में जा मिलीं।

माँ ने बोलना शुरू किया, “आखिरकार… आखिरकार तू ही है मेरी दुश्मन! तू ही है जिसके कारण मेरी जवानी बरबाद हुई। मेरी जवानी को बरबाद करके तू अब अपने-आप को सँवारती, इठलाती घूमती है। काश! मैंने पैदा होते ही तुझे मार दिया होता।”

इस पर बेटी बोली, “अरी बूढ़ी और बदजात औरत! तू… तू ही है जो मेरे और मेरी आज़ादी के बीच टाँग अड़ाए खड़ी है। तूने मेरी ज़िन्दगी को ऐसा कुआँ बना डाला है जिसमें तेरी ही कुण्ठाएँ गूँजती हैं। काश! मौत तुझे खा गई होती।”

उसी क्षण मुर्गे ने बाँग दी। दोनों औरतें नींद से जाग गईं।

बेटी को सामने पाकर माँ ने लाड़ के साथ कहा, “यह तुम हो मेरी प्यारी बच्ची?”

“हाँ माँ।”, बेटी ने मुस्कराकर जवाब दिया।

खलील जिब्रान
खलील जिब्रान (6 जनवरी, 1883 – 10 जनवरी, 1931) एक लेबनानी-अमेरिकी कलाकार, कवि तथा न्यूयॉर्क पेन लीग के लेखक थे। उन्हें अपने चिंतन के कारण समकालीन पादरियों और अधिकारी वर्ग का कोपभाजन होना पड़ा और जाति से बहिष्कृत करके देश निकाला तक दे दिया गया था। आधुनिक अरबी साहित्य में जिब्रान खलील 'जिब्रान' के नाम से प्रसिद्ध हैं, किंतु अंग्रेजी में वह अपना नाम खलील ज्व्रान लिखते थे और इसी नाम से वे अधिक प्रसिद्ध भी हुए।