अगर मुझे औरतों के बारे में
कुछ पूछना हो तो मैं तुम्हें ही चुनूँगा
तहक़ीक़ात के लिए
यदि मुझे औरतों के बारे में
कुछ कहना हो तो मैं तुम्हें ही पाऊँगा अपने भीतर
जिसे कहता रहूँगा बाहर शब्दों में
जो अपर्याप्त साबित होंगे हमेशा
यदि मुझे किसी औरत का क़त्ल करने की
सज़ा दी जाएगी तो तुम ही होंगी यह सज़ा देने वाली
और मैं ख़ुद की गरदन काटकर रख दूँगा तुम्हारे सामने
और यह भी मुमकिन है
कि मुझे ख़ंदक़ या खाई में कूदने को कहा जाए
मरने के लिए
तब तुम ही होंगी जिसमें कूदकर
निकल जाऊँगा सुरक्षित दूसरी दुनिया में
और तुम वहाँ भी होंगी विहँसते हुए
मुझे क्षमा करने के लिए…
चन्द्रकान्त देवताले की कविता 'मैं आता रहूँगा तुम्हारे लिए'