कल तुम्हें सुनसान अच्छा लग रहा था
आज भीड़ें भा रही हैं
तुम वही मन हो कि कोई दूसरे हो!

गोल काले पत्थरों से घिरे उस सुनसान में उस शाम
गहरे धुँधलके में खड़े कितने डरे
कँपते थरथराते अन्त तक क्यों मौन थे तुम

किस तिलस्मी शिकंजे के असर में थे
जिगर पत्थर, आँख पत्थर, जीभ पत्थर क्यों हुई थी
सच बताओ, उन क्षणों में कौन थे तुम

कल तुम्हें अभिमान अच्छा लग रहा था
आज भिक्षा भा रही है
तुम वही मन हो कि कोई दूसरे हो!

नरेश सक्सेना
जन्म : 16 जनवरी 1939, ग्वालियर (मध्य प्रदेश) कविता संग्रह : समुद्र पर हो रही है बारिश, सुनो चारुशीला नाटक : आदमी का आ पटकथा लेखन : हर क्षण विदा है, दसवीं दौड़, जौनसार बावर, रसखान, एक हती मनू (बुंदेली) फिल्म निर्देशन : संबंध, जल से ज्योति, समाधान, नन्हें कदम (सभी लघु फिल्में) सम्मान: पहल सम्मान, राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार (1992), हिंदी साहित्य सम्मेलन का सम्मान, शमशेर सम्मान