शुक्राणुओं की कमी से
मर जातें है आशा के कुछ स्वप्न और
मस्तिष्क की रसोईघर में
पकती रहती हैं स्वप्नदोष की कुछ नग्न तस्वीरें
जिन्हें एक दिन कांच में मढ़कर
वासना को-
स्मृति-चिन्ह भेंट किया जायेगा
निराशा का अवलोकन होगा
जननांगों के बीच की दूरी
इंच में मापकर समीप लाने का
भरसक प्रयत्न होगा,
शीघ्रपतन का उत्थान होगा
जड़ी-बूटियों के पौरुष स्रावण से,
और तब इंद्रियों पर रुधिर का रसायनिक तत्व
एकाधिकार कर लेगा
फिर मादकता की शय्या से एस्ट्रोजन पर
टेस्टोस्टेरोन की विजयगाथा-
रति परपीड़न के स्वरों में लयबद्ध होगी
पर उस क्षण-
मूक हो जायेंगी वो सब
चौसठ काम-कलाएँ,
देखकर किसी नपुंसक के बांझपन को;
जब-
उन्माद के समय ही
स्खलन के साथ-साथ पुरुष का
मासिक-धर्म शुरू होगा।