…तुझे याद है प्रेयसी, एक बार जब
‘अलापत्थर झील’ के निर्मल शीतल जल प्रसार
की ढलान पर, आ उतरी थी सेना सी
पिकनिक करने, हम सबके परिवारों की। तब
खेले थे हम खूब, बरफ़ों से और
पर्वतों की कोख में छिपी, गूंज डायन को था
खूब चिढ़ाया अपने मीठे गीतों और
पुकारों से, कैसे लौट-लौट आतीं प्रतिध्वनियाँ,
उन गीतों और पुकारों की! कैसे उन्हीं पुकारों से
टूट-टूट कर, हिम चट्टानें थीं फिसली
और गिरी थीं झील लहरों में, हिला गई थीं
झील में पड़ती किनारों की कोमल परछाइयाँ!…

बलराज साहनी
बलराज साहनी (जन्म: 1 मई, 1913 निधन: 13 अप्रैल, 1973), बचपन का नाम "युधिष्ठिर साहनी" था। हिन्दी फ़िल्मों के एक अभिनेता थे। वे ख्यात लेखक भीष्म साहनी के बड़े भाई व चरित्र अभिनेता परीक्षत साहनी के पिता हैं। एक प्रसिद्ध भारतीय फिल्म और मंच अभिनेता थे, जो धरती के लाल (1946), दो बीघा ज़मीन (1953), काबूलीवाला (1961) और गरम हवा के लिए जाने जाते हैं। बलराज साहनी एक अभिनेता के रूप में ही ज्यादा जाने जाते हैं, जबकि उन्होंने एक साहित्यकार के रूप में भी काफी कार्य किया है। उन्होंने कविताओं और कहानियों से लेकर, नाटक और यात्रा-वृत्तान्त तक लिखे हैं। 13 अप्रैल 1973 को जब उनकी मृत्यु हुई, तब भी बलराज एक उपन्यास लिख रहे थे, जो कि उनकी मृत्यु के कारण अधूरा ही रह गया।