(कोरोना से गुज़र गई एक अपरिचित की फ़ेसबुक प्रोफ़ाइल से गुज़रते हुए)
8 मई, 2021
सत्ता है मछली की आँख
और दोनों कर्ता-धर्ता
अर्जुन और ‘ठाकुर’ बने थे
चूक गया तीर
मछली की देह के तार-तार रेशे
दहलीज़ें पार कर आँखों में आ पड़े हैं
एक रेशा आ लगा था उसे भी
अन्ततः
आज वह हार गई है
अतिसूक्ष्म वायरस से
वैसे
आज ही थी
उसकी शादी की सालगिरह भी!
1 अप्रैल, 2021
ट्रॉलिंग के इस युग में
मूर्ख दिवस को
कौन लगाता है भला
पति के साथ अपनी तस्वीर?
पर उसने लगायी है
दोनों ने ट्विनिंग की है
काले कपड़ों में
मृत्यु से महीने-भर पहले
वह बहुत ख़ुश है।
12 जनवरी, 2021
इस बार उसका बच्चा भी तस्वीर में है
बेटे ने शायद पहली बार पहनी है
जेब में लाल रुमाल वाली कोट
बेटा भद्र पुरुष बन रहा है
वह और उसका पति मुस्कुरा रहे हैं
क्षितिज पर रोशनी है।
7 नवम्बर, 2020
पहली बार वह साड़ी में दिखी है
उसके गले में सोने का ख़ूब मोटा मंगलसूत्र है
और एक पतली चेन भी
इस बार वह आभूषणों के रौब में है
एक गर्वीली अधखुली मुस्कान है
थोड़ी फ़ुकरापन्ती तो बनती है!
31 मार्च, 2020
मुआ वायरस दाख़िल हो चुका है देश में
सुगबुगाहट अब खलबली बन रही है
उसने यह ज़ाहिर करती तस्वीर डाली है
कि वह घर की चारदीवारी में ठहर
संक्रमण फैलने से बचाएगी।
6 जनवरी, 2020
फ़िलहाल उसका हत्यारा
या तो देश में नहीं पहुँचा है
या विजय रथ पर सवार है
वह कहीं घूमने गई है
जापानी पोशाक पहने पुतले के हाथ में छतरी है
वह छतरी की छाँव में है
बच्चा उसका बैठा है
ध्यान मुद्रा में।
20 दिसम्बर, 2019
धूप से उसके बच्चे की आँखें चुंधिया रही हैं
पर उसकी आँखें पूरी तरह खुली हैं
फूलों वाली पोशाक और झुमकों में
वह जच रही है।
15 अगस्त, 2019
यह उसकी इकलौती श्वेत-श्याम तस्वीर है
ऐसा भी नहीं कि कोई पुरानी तस्वीर हो यह
जबकि आज आसमान में रंग दिख रहे हैं
मुखिया ने लाल क़िले से भाषण दिया है।
2 सितम्बर, 2018
वह सरोवर वाले मंदिर में घूमने गई है
उसने लम्बी उम्र की दुआ माँगी है
पति और बच्चे के लिए।
19 फ़रवरी, 2018
गले में इस बार
एक दूसरा महँगा हार है
फिर वही परिचित रौब
थोड़ी फ़ुकरापन्ती तो बनती है भाई!
3 जुलाई, 2017
हिल स्टेशन घूमने आयी है
बच्चा थोड़ा और छोटा है
पति कुछ और हैण्डसम दिख रहा है
वह कुछ और युवा लग रही है
हवा से उसके बाल उड़ रहे हैं।
2 मई, 2017
उसकी मृत्यु से लगभग चार साल पहले का समय है
और उसने यह कैसी तस्वीर डाली है
जिसमें उसकी आँखें मिंच गई हैं
उसे सिर्फ़ खुली आँखों वाली तस्वीर डालनी चाहिए थी
उसकी आँखें खुली रहनी चाहिए थीं।
18 अगस्त, 2015
इस तस्वीर की बाबत मालूम हुआ
कि सरोवर और पहाड़ के अतिरिक्त
समुद्र भी देख लिया था उसने
समुद्र किनारे की रेत पर
उसका बच्चा अभी चलना सीख रहा है
माँ-बाप ने बच्चे का एक-एक हाथ पकड़ा है।
4 मार्च, 2014
बच्चा अभी अस्तित्व में नहीं आया है
उसके हाथों में मेहँदी लगी है
कहीं घूमने आयी है वह
रिसॉर्ट के बाहर
पौधों पर ताजमहल का डिज़ाइन बना है।
11 अक्टूबर, 2012
वह और उसका पति बहुत युवा दिख रहे हैं
कमेंट में किसी ने उसे भाभी पुकारा है
वह ब्याही जा चुकी है
विवाह की कोई तस्वीर पब्लिक नहीं है
मई में विवाह की वर्षगाँठ के हिसाब से
उसके विवाह को पाॅंच महीने हुए हैं
चार उज्ज्वल नेत्रों में अथाह सपने भरे हैं।
30 अगस्त, 2012
यह उसकी अन्तिम (दरअस्ल पहली) उपलब्ध तस्वीर है
वह अम्बरसर में है
स्वर्ण मंदिर के बाहर खड़ी हुई
यहाँ एक और विशाल सरोवर है
स्वर्णिम अध्यात्म की शरण में
वह बिल्कुल रौबदार नहीं दिख रही है।
देवेश पथ सारिया की कविता 'स्त्री से बात'