बहुत हुआ
अब थम जाओ
काट डालो
पैने डंक
जो तुमने
उगा रखे हैं
मन की
अंदरूनी तहों में

बस करो कि
जब न रहो तुम
बची रहे तुम्हारे
हिस्से की ज़मीन
त्रिशंकु होना
अच्छा नहीं लगेगा तुम्हें

विश्वास रखो
नाख़ूनों रहित
कोमल दिल
बचा लेंगें
अनगिनत हाथ,
वही हाथ
फिर
उठेंगे दुआओं में
और बचा लेंगें
मानवता

पूरा सूरज बचाना हो
तो
बचा लो
अपने-अपने
हिस्से का सूरज
बिना कलह…
क्योंकि
भयावह है जो
आज मैंने सुना-
मैंने सुना ईश्वर को
ईश्वर से बात करते,
उसने ईश्वर के साथ
होती
बदसलूक़ी देख
ईश्वर होने से
मना कर दिया।

(११/०४/२०२०)