‘Usne Kaha’, a poem by Rohit Thakur
उसने कहा सुख जल्दी थक जाता है
और दुःख एक पैसेंजर ट्रेन की तरह है
उसने सबसे अधिक गालियाँ
अपने आप को दीं
उसका झगड़ा पड़ोस से नहीं
उस आकाश से है जो
तारों को आत्महत्या के लिए उकसाता है
उसने सबसे डरा हुआ आदमी
उस पुलिस वाले को माना
जो गोली मार देना चाहता है सबको
वह चाहता है कि एक
घुआँ का पर्दा टंगा रहे
हर अच्छी और बुरी चीज़ों के बीच
ताकि औरतों और बच्चों के सपनों पर
चाकू के निशान न हों।
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