‘Utkrishtta’, a poem by Uday Prakash
सुन्दर और उत्कृष्ट कविताएँ
धीरे-धीरे ले जाएँगी सत्ता की ओर
सूक्ष्म सम्वेदनाओं और ख़फ़ीफ़ भाषा का कवि
देखा जाएगा अत्याचारियों के भोज में शामिल
सबसे ज़्यादा स्वादों का बखान करता हुआ
अब तो कुछ भी हो सकता है
कोई भी उत्कृष्ट कहीं भी मिल सकता है
समकालीन कविता
और समकालीन हिन्दुस्तान को चाहिए
सीधे दिमाग़, ठोस शरीर और साफ़ दिल का एक कवि
जो कह सके
विज्ञापन को विज्ञापन
और अन्याय को अन्याय
निर्भय जो हत्या को हत्या कहेगा
निश्चय वही अन्ततः कवि रहेगा।
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