यातना भार से व्याकुल वृक्ष को देखा मैंने
वोधिवृक्ष जैसी इसकी जड़ें गहरी हैं
बोधित वृक्ष पर तो फूल भी खिले
यह वृक्ष सभी ऋतुओं में झुलसा हुआ
धमनी-धमनी से फट पड़ती यातनाएँ
झर गए पत्ते महारोगी की उँगलियों जैसे।
यह तना कैसा? जिसकी डाल-डाल जकड़ी है वैसाखियों में
मृत्यु आती नहीं, इसलिए मृत्यु यातना सहता
यातना-भार से व्याकुल वृक्ष को देखा मैंने।

दया पवार
(15 सितम्बर 1935 - 20 सितम्बर 1996) मराठी भाषा के कवि व लेखक। मराठी दलित साहित्य आन्दोलन में महत्त्वपूर्ण योगदान के लिए स्मरणीय।