वह क्या है
जो एक औरत पालती है
अपने बच्चों को बारी-बारी से
गर्भ में लम्बे नौ महीने तक
और एक दिन उन्हें ही अपने साथ ले
कुएँ में कूद जाती है?
वह क्या है
जो एक औरत सुबह-सुबह
हँसते-खिलखिलाते नवम्बर की गुनगुनी धूप में
कबूतरों को दाना चुगाते-चुगाते
बारहवीं मंज़िल से नीचे तारकोल पर कूद जाती है?
वह क्या है
जो आदमी एक शाम
अपने मनपसन्द शायर के ओटोग्राफ़ लेता है
बग़ल में कृतज्ञता से खड़ा होकर
और थोड़ी देर बाद शायर को
अपनी जेब के हथगोले से उड़ा देता है?
वह क्या है
जो लड़का उन्नीस का
बचपन से प्यार करता आता है लड़की सत्रह की को
और कॉलेज की सीढ़ियों पर अन्धेरे में एक दिन
गला घोंट देता है उसी का
जिसको इतने दिनों, महीनों, वर्षों से
मन-ही-मन प्यार करता आया है
जिसके लिए उसने अनेकानेक कविताएँ लिखीं
और जिसके लिए बहुत बचपन में वह
भँवर में कूद पड़ा था
जब लड़की की हाथ-घड़ी जाती रही थी
बदले में लड़की के पिता ने उसकी हथेली
एक खोटी अठन्नी से दबा दी थी!
वह क्या है
जो एक पोस्टमैन
सुबह-शाम हँसी-खुशी बाँटने के बाद
थक जाता है एक दिन
ढोते-ढोते वही पुराना ख़ाकी थैला
और चार जवान लड़कियों का बोझ उससे कहीं ज़्यादा
रेल की पटरी पर सो जाता है?
वह क्या है
जो अपनी शगुन की साड़ी में आग लगा लेती है लड़की
और ठीक फेरे के वक़्त लड़का
मालगोदाम में किसी बोरे की तरह
लटका मिलता है?
वह क्या है
जो हज़ारों बार मौत को जीतने के बाद
अन्त में मेरे दादा ने अपने सर में कुल्हाड़ी मार ली
पिता ने हज़ारों को मारा
और ख़ुद खेत रहे
पर मैं कितना अभागा हूँ
कि एक को नहीं मारा
नहीं लड़ा कोई युद्ध
किसी अभिमन्यु की तरह
सिर्फ़ पहिये के सहारे
और पल-पल आत्महत्या करने की सोचता हूँ?
वह क्या है
जो एक औरत – जो एक लड़की
जो एक माँ और जो एक पिता
और जो एक पोस्टमैन…?