कविता वक़्त By सोनाली सिन्हा - January 12, 2019 Share FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmailPinterestTumblr एक कलम.. कुछ अलफ़ाज़.. हंसीं ख्वाहिशों की कश्मकश । बस ज़िन्दगी यूं ही कट रही.. कश-ब-कश ।