अनाम कवि

अनाम कवि
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80'-90' के दशक में टंकित कविताओं-लोरियों की एक पाण्डुलिपि हिन्दी के सुपरिचित कवि दूधनाथ सिंह जी को मिली, जिस पर किसी का नाम नहीं था। यही कविताएँ और लोरियाँ 'एक अनाम कवि की कविताएँ' नाम से राजकमल प्रकाशन से प्रकाशित हुईं।
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