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'बेबार' शब्द का अर्थ है जिसे शब्दों में बयाँ न किया जा सके, मगर अपने इन्हीं शब्दों के ज़रिये बेबाऱ कई गहरे अर्थ गढ़ने वाली नज़्मों एवं कहानियों की रचनाएँ कर चुके हैं । बेबाऱ पिछले एक दशक से ज़्यादा निरंतर नज़्मों और अफ़सनों की ज़ुबानी सामाजिक-मानवीय जटिलताओं के एहसास कहते सुनते रहे हैं। कविताएं एवं कहानी लेखन के साथ साथ, बेबाऱ ने लगभग दर्ज़न भर गीतों की भी रचना की है।