नरेश प्रजापत "नाश"

नरेश प्रजापत "नाश"
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आओ ख़ुद से मिलवाता हूं । मैं नाश हूं । मैं चाहता हूं लिखना हर जीव के हर भाव को, भाव से उत्पन्न भंगिमाएं, स्वर, गीत, रुदन, उल्लास, सब कुछ ।

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