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खानाबदोश हूं; सेंटियागो वाले चरवाहे की तरह छिपे हुए खजाने की तलाश में भटक रहा हूं। पृथ्वी से दूर दूसरे ग्रहों पर जाने के लिए वॉर्महोल की तलाश में हूं। कविताएं, कहानियां, ग़ज़लें, शायरियां, संस्मरण, नाटक, यात्रा-वृतांत आदि लिखने-पढ़ने का शौक रखता हूं। थोड़ा मनुष्य हूं, पूरा होने की कोशिश में हूं।
~ ऋषि द्विवेदी