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युवा कवि। शुभम की रचनाएँ परिपक्व हैं किसी पेड़ पर पके फल की तरह, रचनाओं को पाठक कौशल से पकाया है, परिमार्जन किया। किसी बाज़ारवादी फल व्यापारी की तरह नहीं कि इधर कैमिकल लगाया और उधर फल पककर तैयार। शुभम की रचनाओं को देखें किसी बालक की चंचलता, किसी युवा का प्रेम, किसी वरिष्ठ का गाम्भीर्य लिये। पैनी कलम, असरदार कलम, इसमें सम्वेदना की नदी बहती है, कभी प्रेम के गुलाब खिलते हैं, तो कभी नानी की पोपले मुँह की कविताएँ। शुभम शौर्य अभी ग्रेजुएशन के पहले साल में हैं। उम्र सत्रह वर्ष। बहुमत पत्रिका, दैनिक भास्कर, नवदीप काव्य संग्रह, हिंदी काव्य कोश, लेखनबाज़ी, हिंदीबाज़ी, किताबगंज, गूँज, नए पत्ते और भी अन्य पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुके हैं।