ये शान है, ये मान है, वतन का ये सम्मान है,
चले वतन इसी से है, यही मेरा अभिमान है,
ये मेरा संविधान है।
उद्देशिका का मंत्र है, लोकतंत्र ये गणतंत्र है,
न्याय की ये नीति है, सम्पन्नता की रीति है।
अखंडता इसी से है, यही निरपेक्षता का मान है,
ये मेरा संविधान है।
कानून की दलील है, स्वतंत्रता का ये मील है,
कर्तव्य है, अधिकार है, विचारों का अंबार है।
स्वराज भी इसी से है, इसी से वतन महान है,
ये मेरा संविधान है।
पर तंग है, पर नंग है, वतन भी खंड खंड है
संविधान के ही पन्नों पे, लिपटा क्यों प्रसंग है?
समता की भी हार ये, यही एकता की शान है,
ये मेरा संविधान है!