‘जीवन के बीचोंबीच’ : तादेऊष रूज़ेविच की कविताएँ से
अनुवाद: आग्नयेष्का कूच्क्येवीच-फ़्राश और कुँवर नारायण
मैं चौबीस का हूँ
मेरा वध होना था
बच गया।
खोखले हैं ये सारे पर्याय
आदमी और जानवर
प्यार और नफ़रत
दुश्मन और दोस्त
अँधेरा और उजाला।
आदमी भी ठीक उसी तरह मारा जाता है जैसे एक जानवर
मैंने देखा है—
ट्रक पर लदे हलाल किए हुए लोग
उद्धार से परे।
ख़ाली शब्द हैं ये पवित्र भावनाएँ
पुण्य और पाप
सच और झूठ
सुन्दर और कुरूप
वीरता और कायरता।
एक भाव तुलते हैं दोनों पुण्य भी और अपराध भी
देखा है मैंने—
एक आदमी को जो एक भी था और एक में दोनों भी
अधम भी और महात्मा भी।
खोज रहा हूँ एक उपदेशक और एक गुरु को
जो मुझे वापस दिला सके मेरा देखना, सुनना और बोलना
चीज़ों और भावनाओं को दे सके फिर से उनका सही-सही नाम
अलग कर सके रोशनी से अँधेरे को।
मैं चौबीस का हूँ
मेरा वध होना था
बच गया।