स्त्री विमर्श
माया एंजेलो की कविता ‘उदित हूँ मैं’
माया एंजेलो की कविता 'And Still I Rise' का अनुवाद
कड़वे छली मृषा से इतिहास में तुम्हारे
तुम्हारी लेखनी से मैं न्यूनतम दिखूँगी
धूल-धूसरित भी कर सकते...
बैठी हैं औरतें विलाप में
बैठी हैं एक साथ
गठरी बन
बिसूरतीं
रोतीं, विलाप करतीं स्त्रियाँ
करतीं शापित पूरे इतिहास को
जिसमें उनके लिए
अंधकार का मरुस्थल बिछा है
बैठी हैं याद करतीं
अपनी महान परम्परा को
जिसमें थी...
दलित विमर्श
गुलाबी अयाल का घोड़ा
मुझे स्वतंत्रता पसन्द है
वह बढ़िया होती है समुद्र-जैसी
घोड़ा
आओ, उसका परिचय कर लेंगे
शतकों की सूलि पर चढ़ते हुऐ
उसने देखा है हमें
अपना सबकुछ शुरू होता है...
लेख
साहित्यकार की समस्याएँ
'साहित्य और संस्कृति' से
'साहित्य गोष्ठी' चंडीगढ़ द्वारा आयोजित सेमिनार में पढ़ने के लिए लिखा गया आलेख
एक साहित्यकार के जीवन की मूल समस्या है साहित्यकार...
बुद्धिवाद : पाखंड व अंधविश्वास से मुक्ति का मार्ग
ऐसा क्यों है कि हम एक विदेशी से यह अपेक्षा करते हैं कि वह हिमालय पर्वत की ऊँचाई का पता लगाए; जबकि हम यह...
हम सबके माथे पर दाग़
'आदमी की निगाह में औरत' से
काफ़्का की एक लम्बी और भयानक कहानी है, 'दंडद्वीप'। मुख्य-भूमि से दूर इस द्वीप में क़ैदियों को रखा जाता...
संकट और साहित्य
सुनते थे कि साहित्यकार की व्यापक दृष्टि आधारभूत मानवीय मूल्यों पर रहती है और उन्हें समग्र विश्व के परिप्रेक्ष्य में देखती-परखती है। वह तात्कालिकता...
साहित्य का आधार
साहित्य का सम्बन्ध बुद्धि से उतना नहीं, जितना भावों से है। बुद्धि के लिए दर्शन है, विज्ञान है, नीति है। भावों के लिए कविता है,...
जाति का उन्मूलन
यदि हमारे लोग जाति, धर्म, आदतों और रीति-रिवाजों में सुधार लाने को तैयार नहीं होते हैं; तो वे स्वतंत्रता, प्रगति और आत्म-सम्मान पाने की...
उद्धरण
विनोद कुमार शुक्ल – ‘नौकर की कमीज़’
विनोद कुमार शुक्ल के उपन्यास 'नौकर की कमीज़' से उद्धरण | Quotes from 'Naukar Ki Kameez', a novel by Vinod Kumar Shukla
"घर बाहर जाने...