‘Aadi Sangeet’, a poem by Pushpendra Pathak
पता है?
हवा और पेड़
शाश्वत प्रेमी हैं
योगियों-से ध्यानस्थ वृक्ष
बुलाएँ न बुलाएँ
चूमती हैं हवाएँ उन्हें
झकझोरती हैं
नचाती भी
उठा ले जाती हैं
सूखें बेजान पत्तों को
देती हैं तोड़
अकड़ी शाखाएँ सब
टूटने,
झरने,
नाचने में
जो संगीत पैदा होता है
वह है प्रमाण
दोनों की रज़ामंदी का
मैं पेड़
तुम हवा
हाँ।
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