‘Aana’, a poem by Kedarnath Singh

आना
जब समय मिले,
जब समय न मिले
तब भी आना

आना
जैसे हाथों में
आता है जांगर,
जैसे धमनियों में
आता है रक्त,
जैसे चूल्हों में
धीरे-धीरे आती है आँच,
आना…

आना जैसे बारिश के बाद
बबूल में आ जाते हैं
नए-नए काँटे

दिनों को
चीरते-फाड़ते
और वादों की धज्जियाँ उड़ाते हुए
आना

आना जैसे मंगल के बाद
चला आता है बुध,
आना…

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Book by Kedarnath Singh:

केदारनाथ सिंह
केदारनाथ सिंह (७ जुलाई १९३४ – १९ मार्च २०१८), हिन्दी के सुप्रसिद्ध कवि व साहित्यकार थे। वे अज्ञेय द्वारा सम्पादित तीसरा सप्तक के कवि रहे। भारतीय ज्ञानपीठ द्वारा उन्हें वर्ष २०१३ का ४९वां ज्ञानपीठ पुरस्कार प्रदान किया गया था। वे यह पुरस्कार पाने वाले हिन्दी के १०वें लेखक थे।