आज के परिवेश में
वो गरिमामय कल
नहीं दिखता!

बेशक जरूरी है विकास
और राष्ट्रीयता
लेकिन उतना ही जरूरी है
मानवता और एकता भी

जरूरी है एक समाज
जिसमें समावेश हो
आधुनिकता और प्राचीनता का
जिसका भविष्य भी
उतना ही गौरवशाली हो
जितना कि अतीत

एक ऐसा समाज जिसकी संरचना
उतनी ही परिपूर्ण हो
जितनी उसको मिलने वाली सुविधाएं
और जीवन मूल्य
उतना ही ऊंचा हो
जितनी उसकी अट्टालिकाएं

क्योंकि बिना संस्कृति के
संभव नहीं उन्नति भी
किसी समाज या राष्ट्र की…

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