जहाँ न बस्ता कंधा तोड़े
जहाँ न पटरी माथा फोड़े
जहाँ न अक्षर कान उखाड़ें
जहाँ न भाषा ज़ख़्म उभारे
ऐसा हो स्कूल हमारा!
जहाँ अंक सच-सच बतलाएँ
जहाँ प्रश्न हल तक पहुँचाएँ
जहाँ न हो झूठ का दिखाव्वा
जहाँ न सूट-बूट का हव्वा
ऐसा हो स्कूल हमारा!
जहाँ किताबें निर्भय बोलें
मन के पन्ने-पन्ने खोलें
जहाँ न कोई बात छुपाए
जहाँ न कोई दर्द दुखाए
ऐसा हो स्कूल हमारा!
जहाँ न मन में मन-मुटाव हो
जहाँ न चेहरों में तनाव हो
जहाँ न आँखों में दुराव हो
जहाँ न कोई भेद-भाव हो
जहाँ फूल स्वाभाविक महके
जहाँ बालपन जी भर चहके
ऐसा हो स्कूल हमारा!
'खिड़की में खड़ी नन्ही लड़की - तोत्तो चान'