Amir Khusro Ki Paheli
काजल की कजलौटी ऊधो,
पेड़न का सिंगार।
हरी डाल पे मैना बैठी ,
है कोई बूझन हार।
– जामुन
एक राजा ने महल बनाया,
एक थम्ब पर वाने बंगला छाया।
भोर भई जब बाजी बम,
नीचे बंगला ऊपर थम्ब।
– मथनी
आदि कटे तो सबको पाले,
मध्य कटे तो सबको घाले
अंत कटे तो सबको मीठा,
खुसरो वाको आँखों दीखा।
– काजल
एक नार चतुर कहलावे,
मूरख को ना पास बुलावे।
चतुर मरद जो हाथ लगावे,
खोल सतर वह आप दिखावे।
– पुस्तक
कीली पर खेती करै,
औ पेड़ में दे दे आग।
रास ढोय घर में रखै,
रह जाए है राख।
– कुम्हार
गाँठ गठीला, रंग-रंगीला,
एक पुरुख हम ने देखा।
मरद इस्तरी उसको रक्खे,
उसका क्या कहूँ लेखा।
– मठा
यह भी पढ़ें: अमीर ख़ुसरो की अन्य पहेलियाँ यहाँ पढ़ें