फ़िक्शन

बुरांश

उल्कापिंड के गीले-गीले दीप

उदासीन गीत

तारिकाएँ

हताशा का अरण्य

देजा वू

 

Previous articleजलते हुए मकान में कुछ लोग
Next articleसमीर ‘अनजान’ कृत ‘समीराना गीत’
अंकिता वर्मा
अंकिता वर्मा हिमाचल के प्यारे शहर शिमला से हैं। तीन सालों से चंडीगढ़ में रहकर एक टेक्सटाइल फर्म में बतौर मार्केटिंग एग्जीक्यूटिव काम कर रही थीं, फिलहाल नौकरी छोड़ कर किताबें पढ़ रही हैं, लिख रही हैं और खुद को खोज रही हैं। अंकिता से [email protected] पर सम्पर्क किया जा सकता है!

1 COMMENT

  1. बहुत ख़ूबसूरत है ये, बहुत। आज के वक़्त में नए लिखने वालों में मैंने किसी को इस खूबसूरती से लिखता नहीं देखा। कई बार होता है कि आप अच्छा लिख तो देते हो पर न ही आप खुद उसकी व्याख्या कर पाते हो और न ही उसको समझ पाते हो कि ये असल में ख़याल क्या है, पर मोहतरमा आप कमाल लिखती हैं और सटीक समझ भी है की खुद क्या लिख रहीं हैं।

    आज के दिन के ख़ूबसूरत 10 मिनट रहे।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here