कई अपेक्षाएँ थीं और कई बातें होनी थीं
एक रात के गर्भ में सुबह को होना था
एक औरत के पेट से दुनिया बदलने का भविष्य लिए
एक बालक को जन्म लेना था
एक चिड़िया में जगनी थी बड़ी उड़ान की महत्वाकांक्षाएँ

एक पत्थर में न झुकने वाले प्रतिरोध को और बलवती होना था
नदी के पानी को कुछ और ज़िद्दी होना था
खेतों में पकते अनाज को समाज के सबसे अंतिम आदमी तक
पहुँचाने का सपना देखना था

पर कुछ नहीं हुआ
रात के गर्भ में सुबह के होने का भ्रम हुआ
औरत के पेट से वैसा बालक पैदा न हुआ
न जन्मी चिड़िया के भीतर वैसी महत्वाकांक्षाएँ

न पत्थर में उस कोटि का प्रतिरोध पनप सका
नदी के पानी में ज़िद तो कहीं दिखी ही नहीं

खेत में पकते अनाजों का
बीच में ही टूट गया सपना
अब क्या रह गया अपना।

बद्रीनारायण की कविता 'प्रेमपत्र'

Book by Badrinarayan:

बद्रीनारायण
जन्म: 5 अक्टूबर 1965, भोजपुर, बिहार. कविता संग्रह: सच सुने कई दिन हुए, शब्दपदीयम, खुदाई में हिंसा. भारत भूषण पुरस्कार, बनारसी प्रसाद भोजपुरी सम्मान, शमशेर सम्मान, राष्ट्र कवि दिनकर पुरस्कार, स्पंदन सम्मान, केदार सम्मान