तुम्हारे सदाचार की क्षय
व्यभिचार
सद्-आचार अर्थात श्रेष्ठ पुरुषों का आचार। श्रेष्ठ किसे कहते हैं? क्या श्रेष्ठ की कोटि में उस ग़रीब की गिनती हो सकती है जो ईमानदारी...
तुम्हारे भगवान की क्षय
लड़का माँ के पेट से ईश्वर का ख़याल लेकर नहीं निकलता। भूत, प्रेत तथा दूसरे संस्कारों की तरह ईश्वर का ख़याल भी लड़के को...
तुम्हारे धर्म की क्षय
वैसे तो धर्मों में आपस में मतभेद है। एक पूरब मुँह करके पूजा करने का विधान करता है, तो दूसरा पश्चिम की ओर। एक...
और मत रखो अँधेरे में, देखने दो मुझे
मेरी इच्छा है कि सुबह से दोपहर, दोपहर से रात तक अकेली घूमती रहूँ। नदी के किनारे, गाँव के मैदान में, रोशनी में, शहर...
तुम्हारे समाज की क्षय
मनुष्य सामाजिक पशु है। मनुष्य और पशु में अन्तर यही है कि मनुष्य अपने हित और अहित के लिए अपने समाज पर अधिकतर निर्भर...
साहित्यकार की समस्याएँ
'साहित्य गोष्ठी' चंडीगढ़ द्वारा आयोजित सेमिनार में पढ़ने के लिए लिखा गया आलेख
एक साहित्यकार के जीवन की मूल समस्या है साहित्यकार के रूप में...
बुद्धिवाद : पाखंड व अंधविश्वास से मुक्ति का मार्ग
ऐसा क्यों है कि हम एक विदेशी से यह अपेक्षा करते हैं कि वह हिमालय पर्वत की ऊँचाई का पता लगाए; जबकि हम यह...
हम सबके माथे पर दाग़
'आदमी की निगाह में औरत' से
काफ़्का की एक लम्बी और भयानक कहानी है, 'दंडद्वीप'। मुख्य-भूमि से दूर इस द्वीप में क़ैदियों को रखा जाता...
संकट और साहित्य
सुनते थे कि साहित्यकार की व्यापक दृष्टि आधारभूत मानवीय मूल्यों पर रहती है और उन्हें समग्र विश्व के परिप्रेक्ष्य में देखती-परखती है। वह तात्कालिकता...
साहित्य का आधार
साहित्य का सम्बन्ध बुद्धि से उतना नहीं, जितना भावों से है। बुद्धि के लिए दर्शन है, विज्ञान है, नीति है। भावों के लिए कविता है,...
जाति का उन्मूलन
यदि हमारे लोग जाति, धर्म, आदतों और रीति-रिवाजों में सुधार लाने को तैयार नहीं होते हैं; तो वे स्वतंत्रता, प्रगति और आत्म-सम्मान पाने की...
सत्याग्रह और हड़तालें
'भगत सिंह और उनके साथियों के सम्पूर्ण उपलब्ध दस्तावेज़' से
जून, 1928 'किरती' में इन दो विषयों पर टिप्पणियाँ छपीं। भगतसिंह 'किरती' के सम्पादक मण्डल...