दुनिया भर की तमाम प्यारी औरतों और आदमियों और बच्चों
मेरे अपने लोगों
सारे संगीतों, महान कलाओं, विज्ञानों
बड़ी चीज़ें सोच-कह-रच रहे समस्त सर्जकों
अब तक के सारे संघर्षों, जय-पराजयों
प्यारे प्राणियों, चरिन्दों, परिन्दों
ओ प्रकृति
सूर्य, चन्द्र, नक्षत्रों सहित पूरे ब्रह्माण्ड
हे समय, हे युग, हे काल
अन्याय से लड़ते शर्मिंदा करते हुए निर्भय (मुझे कहने दो) साथियों
तुम सब ने मेरे जी को बहुत भर दिया है, भाई
अब यह पारावार मुझसे बर्दाश्त नहीं होता
मुझे क्षमा करो
लेकिन आख़िर क्या मैं थोड़े से चैन किंचित् शान्ति का भी हक़दार नहीं!

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विष्णु खरे
विष्णु खरे (२ फरवरी १९४० – १९ सितम्बर २०१०) एक भारतीय कवि, अनुवादक, साहित्यकार तथा फ़िल्म समीक्षक, पत्रकार व पटकथा लेखक थे। वे हिन्दी तथा अंग्रेजी दोनों भाषाओं में लिखते थे। वे अंग्रेजी साहित्य को विश्वविद्यालय स्तर पर पढ़ाते थे। उन्होंने साहित्य अकादमी में कार्यक्रम सचिव का भी पद सम्भाल चुके हैं तथा वे हिन्दी दैनिक नवभारत टाइम्स के लखनऊ, जयपुर तथा नई दिल्ली में सम्पादक भी रह चुके थे।

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