‘Barish Ke Baad’, a poem by Vijay Rahi

बारिश के बाद
बबूल के पेड़ के नीचे से
अपनी बकरियों को हाँक
वह मुझसे मिलने आई।
दूर नीम के पेड़ तले।

नीम पर बैठी चिड़ियों ने
उसका स्वागत किया
चहचहाते हुए।
तोते ने उसके सौन्दर्य की
तारीफ़ की मुझसे।
कबूतरों ने पंख फडफड़ायें
और उससे निवेदन किया –
“वो उन पर विश्वास कर सकती है,
अपना संदेश भिजवाने के लिए”
गिलहरियाँ फुदकीं
और उसकी चोटी पर से उतर गईं।

अब मेरी बारी थी

मैंने नीम की डाली झुकाकर प्रेम प्रकट किया।
कुछ कच्ची निबोरियाँ मोतियों-सी
कुछ सफेद-झक्क फूल
आ खिले उसके बालों में।
पत्तियों को उसके गाल रास आये।

कुछ बारिश की बूँदे
जो ठहरी हुई थी फूल-पत्तियों पर
हम-दोनों पर एक साथ गिरी,
हम दोनों कुछ देर भीगते रहे,
बारिश के बाद की उस बारिश में।

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विजय राही
विजय राही पेशे से सरकारी शिक्षक है। कुछ कविताएँ हंस, मधुमती, दैनिक भास्कर, राजस्थान पत्रिका, डेली न्यूज, राष्ट्रदूत में प्रकाशित। सम्मान- दैनिक भास्कर युवा प्रतिभा खोज प्रोत्साहन पुरस्कार-2018, क़लमकार द्वितीय राष्ट्रीय पुरस्कार (कविता श्रेणी)-2019

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