‘Bewajah Pyar Ke Siwa Baqi Sab’, a poem by Rag Ranjan

हमने बच्चों को सिखाया ककहरा
उन्हें गिनती सिखायी, सिखाया हिसाब
दी हाथों में अच्छी बातों की हर किताब

हमने बच्चों को इतना अधिक सिखाया
कि वे अनुभवों से सीखना भूल गए
और एक-दूसरे से भी

हमने एक-दूसरे से लेकिन
सब कुछ सीखा जो सिखाने लायक था
और एक बहुत बड़ी, मज़बूत, वहशी दुनिया बनायी

हाँ, बेवजह प्यार करना हम नहीं सीख सके
उन सारे बच्चों से
जिन्हें हम बाक़ी सब कुछ सिखाने में मसरूफ़ थे…

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