कितने लोग ख़ाली हाथ घर लौटते हैं
इस धरती पर
कितना तूफ़ान मचा रहता है उनके अंदर
किसी देश का मौसम विभाग
इस तूफ़ान की सूचना नहीं देता है

एक थके हुए देवता की परिक्रमा करते हुए
एक अनिश्चित तिथि के लिए
कौन वरदान माँग रहा है इस समय
पानी ढोने वाली औरतें जानती हैं
इन्तज़ार करना
उनके जीवन में शामिल है
पत्थरों से पानी निकलने का इन्तज़ार करना

भाषा के पहाड़ के उस पार
एक आदमी मौन बैठा है इस हताशा में
किसी हथियार से नहीं, भाषा से उसकी हत्या होगी।

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रोहित ठाकुर
जन्म तिथि - 06/12/1978; शैक्षणिक योग्यता - परा-स्नातक राजनीति विज्ञान; निवास: पटना, बिहार | विभिन्न प्रतिष्ठित साहित्यिक पत्र पत्रिकाओं बया, हंस, वागर्थ, पूर्वग्रह ,दोआबा , तद्भव, कथादेश, आजकल, मधुमती आदि में कविताएँ प्रकाशित | विभिन्न प्रतिष्ठित समाचार-पत्रों - हिन्दुस्तान, प्रभात खबर, अमर उजाला आदि में कविताएँ प्रकाशित | 50 से अधिक ब्लॉगों पर कविताएँ प्रकाशित | कविताओं का मराठी और पंजाबी भाषा में अनुवाद प्रकाशित।

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