स्मृतियों में
सहेजने के तौर पर
दिए गए सभी चुम्बन
पीड़ा में ऐसे भ्रम बनाए रखते हैं,
मानो आँख खुलते ही
ईश्वर सामने नज़र आ जाएगा।

यूँ बंद आँखों के अँधेरों में
होंठों का धीरे-धीरे
अनवरत हिलना
प्रार्थनाओं को पूर्ण करने की दिशा में
किया गया प्रयास है।

सुखद स्मृतियाँ जीवित रहकर,
ईश्वर के समक्ष की गई प्रार्थनाओं के पूर्ण होने का
भ्रम बनाए रखती हैं।