ताइवान के नांताऊ शहर में सन् 1927 में जन्मे कवि चेन च्येन वू मंदारिन, जापानी और कोरियाई भाषाओं में पारंगत कवि हैं। अपने कई कविता संकलनों के अतिरिक्त उन्होंने इन तीनों भाषाओं के मध्य अनुवादक की भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वे ‘ली पोएट्री सोसाइटी’ के संस्थापक सदस्यों में से थे और इस संस्था की पत्रिका के एडिटर-इन-चीफ़ भी रहे। उन्हें सन् 2002 में ‘नेशनल आर्ट्स अवार्ड इन लिटरेचर’ से सम्मानित किया गया। प्रस्तुत है चेन च्येन वू की कविताएँ।

अनुवाद: देवेश पथ सारिया

सीपी

(अंग्रेज़ी अनुवाद: डब्ल्यू. एच. शू)

तुम मरकर एक सीपी बन जाओगी
समुद्र किनारे हर बार
जब लहरें तुम्हें भिगोएँगी
मैं उनसे टक्कर लूँगा
और अपना रास्ता भूलकर
लौट जाना होगा वापस उन्हें

प्रीत का कोई अंत नहीं है
यह मृत्यु तक बढ़ती ही जाती है
मृत्यु ना दर्द है, ना दुःख
मृत्यु
समुद्र किनारे पड़ी एक सीपी है
जो लहरों से लोहा लेती है
और डूबी रहती है
एक शाश्वत, शांत प्रेम में।

मैं हवा में लहराती घास और पत्तियों को देखता हूं

(अंग्रेज़ी अनुवाद: डब्ल्यू. एच. शू)

घास और पत्तियाँ लहराती हैं
एक उत्कंठा की लहर
मेरे दिल में भी उठती है
यह कोई रहस्य नहीं है
और लो, मैं मानता हूँ
कि चटख रंग मुझे हैरत में डालते हैं
मुझे नहीं मालूम
कि रंगों की गहमागहमी
किस घुमावदार लहर को जन्म दे रही है
क्या है इनका इरादा?
चातुर्य कैसा और भविष्य के सपने क्या?
मुझे महसूस होता है
कि एक बेरंग झोपड़ी में दरअस्ल
क़ैद हैं चमकीले सपने
मुझे खिड़की खोल देनी चाहिए
ताकि आसानी से साँस ले सकें सपने
ताकि उम्मीद क़ायम रह पाए
घास और पत्तियाँ लहराती हैं
मेरा जुनूनी दिल लेकिन
अब नहीं लहराता।

मेरा ख़ून

(अंग्रेज़ी अनुवाद: के. सी. तू)

मैं आधा अपने पिता का ख़ून हूँ
आधा अपनी माँ का ख़ून
मेरी पत्नी, जो एक अजनबी है
मेरे साथ रहती है
प्रेम का एक सेतु बनाती हुई
मेरे बच्चों में आधा मैं हूँ
और उनका आधा अंश
उस अजनबी स्त्री का है
मेरे पोते-पोतियों में
मेरा सिर्फ़ एक चौथाई अंश है
और तीन चौथाई अंश अजनबियों का
एक अजनबी को भीतर ही भीतर छुपाए
मैं अपनी पत्नी का हाथ थाम लेता हूँ
और कहता हूँ
कि हम दो चौथाई बसते हैं अपने पोते-पोतियों में
मेरा ख़ून
कभी पतला, गाढ़ा कभी
इस अनजान पहेली पर रोता है अक्सर
फिर भी बँटता रहता है
चौथे, आठवें और इसी तरह के हिस्सों में क्रमशः
अंततः उसे नहीं सुनाई पड़ती
पहाड़ों से आती कोई प्रतिध्वनि।

देवेश पथ सारिया
हिन्दी कवि-लेखक एवं अनुवादक। पुरस्कार : भारतभूषण अग्रवाल पुरस्कार (2023) प्रकाशित पुस्तकें— कविता संग्रह : नूह की नाव । कथेतर गद्य : छोटी आँखों की पुतलियों में (ताइवान डायरी)। अनुवाद : हक़ीक़त के बीच दरार; यातना शिविर में साथिनें।