बिखरा-बिखरा, टूटा-टूटा : कुछ टुकड़े डायरी के (एक)
बहुत बुरा वक़्त है। ऐसा लगा था सब ठीक होने वाला है। लेकिन बुरा वक़्त इतनी जल्दी पीछा कहाँ छोड़ता है? श्मशान लाशों से...
इंस्टा डायरी: उदास शहर की बातें
जाड़े की सर्दी में खुरदरी दीवार से सटकर रात बिताती मन की नंगी पीठ। अलकतरे से भी ज़्यादा काली रात में काली बिल्ली की...
एक कुत्ते की डायरी
शुनि चैव श्वपाके च पण्डिताः समदर्शिनः। (गीता)मेरा नाम 'टाइगर' है, गो शक्ल-सूरत और रंग-रूप में मेरा किसी भी शेर या 'सिंह' से कोई साम्य...
नवम्बर डायरी
सुबह की धूप सेंक रहा हूँ, सोच रहा हूँ काश मन की शिकायतों का बोझ अगर पिघल जाता तो कितना सुंदर होता। एक घेरा...
बे-ख़याल बैठा हूँ
बे-ख़याल बैठा हूँ इस लरज़ती रात में। जैसे अभी-अभी एक तारा टूटकर अकेला हुआ है। आसमान में छमकते हैं बचे हुए लहरदार तारे -...
इंस्टा डायरी: ‘उदास शहर की बातें’
मौसम विज्ञान कहता है शहर में आज धूप होगी। लड़की जानती है आज मन भरा हुआ है, और शहर भीग जाएगा। गूगल मैप बताता...
इंस्टा डायरी (पाँचवीं किश्त)
Insta Diary (Part Five) - Diary in Hindi - Gaurow Guptaअक्सर हम जहाँ होते हैं, वहाँ सचमुच में नहीं होते। और कोई चुपके से...
‘तुम्हारे लिए’ – इंस्टा डायरी (चौथी किश्त)
जब वह कमरे से बाहर निकला तो कई रास्ते उसे दिख रहे थे। उसे नहीं पता, कौन-से रास्ते उसे मंज़िल तक ले जाएँगे। अगर...
सखी मोरे पिया घर ना आये
जेठ की भरी दोपहर सबकी नज़रों से छुपाकर सुखाती हूँ... मन!उल्टा-सीधा, अन्दर-बाहर, ऊपर-नीचे सब तरफ़, रूबिक क्यूब जैसा, हर लेयर पर, हर रंग पर...
प्रेम का धुआँ
आत्मा के भीतर एक जगह थी, जहाँ विद्यमान था प्रेमघृत। समय के आवेग में सम्भलना था सो चाहिए थी आग। ताप कम ना हो...
‘तुम्हारे लिए’ – इंस्टा डायरी (तीसरी किश्त)
खामोशी... गहन खामोशी... दोपहर चूम रही है सूखे गुलाब को.. बालकनी में बैठी लड़की उस सूखे गुलाब को निहार रही है... वो उसमें आत्मा...