‘तुम्हारे लिए’ – इंस्टा डायरी (चौथी किश्त)
जब वह कमरे से बाहर निकला तो कई रास्ते उसे दिख रहे थे। उसे नहीं पता, कौन-से रास्ते उसे मंज़िल तक ले जाएँगे। अगर...
सखी मोरे पिया घर ना आये
जेठ की भरी दोपहर सबकी नज़रों से छुपाकर सुखाती हूँ... मन!
उल्टा-सीधा, अन्दर-बाहर, ऊपर-नीचे सब तरफ़, रूबिक क्यूब जैसा, हर लेयर पर, हर रंग पर...
प्रेम का धुआँ
आत्मा के भीतर एक जगह थी, जहाँ विद्यमान था प्रेमघृत। समय के आवेग में सम्भलना था सो चाहिए थी आग। ताप कम ना हो...
‘तुम्हारे लिए’ – इंस्टा डायरी (तीसरी किश्त)
खामोशी... गहन खामोशी... दोपहर चूम रही है सूखे गुलाब को.. बालकनी में बैठी लड़की उस सूखे गुलाब को निहार रही है... वो उसमें आत्मा...
इंस्टा डायरी (दूसरी किश्त)
मुझे मेरी परछाई से शिकायत है, वह मेरी ठीक-ठीक आकृति नहीं बनाती। वह कभी मेरे कद से छोटा तो कभी मेरे कद से बड़ा तो कभी-कभी...
अपने सिवा हर एक की हँसी-मुस्कराहट अजीब लगती है
"अपने सिवा हर एक की हँसी-मुस्कराहट अजीब लगती है। अस्वाभाविक। लगता है, मौत के साये में कैसे कोई हँस-मुस्करा सकता है। पर फिर अपने गले से भी कुछ वैसी आवाज़ सुनाई देती है।"
इंस्टा डायरी
"मेरी परछाई मुझसे पीठ टिकाकर घण्टों मेरी चुप्पी सुनती है। उतरती-चढ़ती साँसों को रीढ़ की हड्डियों से महसूस कर पाना आसान नहीं, यह कला प्रेम करने वालोंं के हिस्से ही आती है..."
जेल डायरी
"संसार में क्या होना चाहिए और क्या हो रहा है - यह विवेचना बड़ी कौतूहलजनक है।"
किसानों पर ताल्लुकेदार द्वारा गोली चलाने की रिपोर्ट छापने के लिए गणेश शंकर विद्यार्थी पर मानहानि का मुकदमा कर दिया गया.. जवाहरलाल नेहरू और मोतीलाल नेहरू की गवाही भी सफाई पक्ष में हुई लेकिन विद्यार्थी मुकदमा हार गए.. उसी के लिए सात महीने की बितायी जेल में विद्यार्थी ने यह डायरी लिखी जिसके कुछ अंश यहाँ प्रस्तुत हैं..