दिल की अपनी हक़ीक़तें होती हैं
धड़कनों के अपने उसूल
जज़्बातों के अपने वहम
और नज़्मों की अपनी रिवायतें

दिल धड़कना चाहता नहीं
धड़कनें रुकती नहीं
जज़्बातों को हक़ीक़तें कबूल नहीं
लेकिन नज़्में…
न हक़ीक़ते देखती हैं
न उसूल
न वहम
बहती रहती हैं..
एक सफ़हे से
दूसरे सफ़हे पर..

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