दिल की धड़कन और फिर आँखों का पानी हो गए
तुम जुदा भी तब हुए जब ज़िंदगानी हो गए

हमने देखा है नशेमन में इन्हें रोते हुए
पर निकलते ही परिंदे आसमानी हो गए

वो मुहब्बत के सफ़र से रूबरू होता गया
याद मेरे शेर जिसको मू ज़ुबानी हो गए

दिल मेरा कब से इसी ग़म के क़फ़स में क़ैद है
तुम भला कैसे हक़ीक़त से कहानी हो गए

फ़िक्र से लगता नहीं तुम अहले हिन्दुस्तान हो
काग़ज़ों में जबकि तुम हिन्दोस्तानी हो गए

मुल्क की बर्बादियों में तुम भी शामिल थे कभी
जब हुकूमत छिन गई तो ख़ानदानी हो गए

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चित्रांश खरे
चित्रांश खरे का जन्म दतिया जिले के अकोला ग्राम में नवम्बर 1989 को हुआ चित्रांश खरे के पिता का खेती का व्यवसाय है और माता गृहणी है। मध्यमवर्गीय परिवार में जन्मे चित्रांश खरे की माध्यमिक स्तर तक की शिक्षा ग्राम अकोला में ही संपन्न हुई। इसके उपरान्त वह जिला दतिया में इंटरमीडिएट की परीक्षा पास कर इंजीनियरिंग करने के लिए भोपाल चले गए और 2011 में इंजीनियरिंग करने के बाद तकनीकी क्षेत्र में ना जाते हुए साहित्यिक क्षेत्र में जाने का निर्णय लिया। उनके इस निर्णय से परिजन नाखुश थे लेकिन उन्होंने अपनी मंजिल साहित्यिक क्षेत्र में ही निर्धारित कर ली थी।

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