‘Dooriyon Se Koi Peeda Khatm Nahi Hoti’, a poem by Rakhi Singh
कई दिनों से
कलाई के पास की नस में तीखा-सा दर्द रह रहा है
डॉक्टर ने कहा – सोते समय हथेली को सिर और गाल के नीचे रख कर न सोएँ।
अब हर रात सोते समय
हथेली को गाल से दूर रखना याद रखती हूँ
पर हथेली को मानो गालों के सिराहने की लत लगी है
पूरी रात, मेरे नींद में जाने की ताक में रहती है
इसे नस की पीड़ा बर्दाश्त है, गालों से दूरी नहीं!
***
तुम मेरे साथ रहना, हमेशा!
यह कहना भरोसा है,
सुनना, आश्वस्ति।
दो लोगों को साथ देखना,
सृष्टि का सबसे आकर्षक दृश्य
साथ होना,
उस क्षण में घटित ब्रह्माण्ड की सबसे सुंदरतम घटना।
***
कलाई पर उभर आयी गहरी हरी नस को छूते हुए मैं सोच रही हूँ –
दूरियों से कोई पीड़ा ख़त्म नहीं होती
यह बात वो डॉक्टर नहीं जानता,
मैं जानती हूँ!
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